रविवार, मई 19, 2024
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Supreme Court : शादी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- ‘सात फेरों के बिना हिंदू शादी वैध नहीं’

आजकल लोग हिंदू विवाह (Hindu Marriage) को ‘गाने, नृत्य’ और ‘शराब पीने, खाने’ का आयोजन या अनुचित दबाव द्वारा दहेज और उपहारों का आदान-प्रदान करने का अवसर बना दिया है. जो ग़लत है

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Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू शादी को लेकर एक बड़ा फैसला (Supreme Court Big Decision ) सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि, हिंदू विवाह एक संस्कार है, यह ‘गाना और डांस’, ‘शराब पीना और खाना’ या एक कमर्शियल ट्रांजैक्शन का आयोजन नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अगर जरूरी समारोह नहीं होते हैं तो हिंदू विवाह (Hindu Marriage) शून्य है और ऐसी शादी को वैध नहीं बना जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत हिंदू विवाह की कानूनी आवश्यकताओं और उसकी पवित्रता को स्पष्ट किया है.

आपको बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस बात पर जोर देते हुए कहा है कि, हिंदू विवाह (Hindu Marriage) को वैध बनाने के लिए, इसे उचित संस्कारों और समारोहों जैसे सप्तपदी (पवित्र अग्नि के चारों ओर परिक्रमा के सात चरण) और विवादों के मामले में इन समारोहों के प्रमाण के साथ किया जाना जरूरी है.

जस्टिस बी नागरत्ना ने अपने फैसले में कहा, हिंदू विवाह (Hindu Marriage) को भारतीय समाज में महान मूल्य की संस्था का दर्जा दिया जाना चाहिए. यही कारण है कि हम हिन्दू युवक-युवतियों से आग्रह करते हैं कि, वे विवाह संस्था में प्रवेश करने से गहराई से सोचें और विचार करें कि उक्त संस्था भारतीय समाज में कितनी पवित्र है.

यह भी पढ़ें: Mirzapur 3 Release : पंकज त्रिपाठी की ‘मिर्जापुर 3’ कब होगी ओटीटी पर रिलीज ? नया अपडेट आया सामने

उन्होंने कहा, आजकल लोग हिंदू विवाह (Hindu Marriage) को ‘गाने, नृत्य’ और ‘शराब पीने, खाने’ का आयोजन या अनुचित दबाव द्वारा दहेज और उपहारों का आदान-प्रदान करने का अवसर बना दिया है. जो ग़लत है एसा करने से किसी भी मामले में आपराधिक कार्यवाही की जा सकेगी।

विवाह कोई व्यावसायिक लेन-देन नहीं है, यह एक गंभीर बुनियादी प्रोग्राम (serious basic program) है, जिसे एक पुरुष और एक महिला के बीच संबंध बनाने के लिए मनाया जाता है, जो भविष्य में एक अच्छे परिवार के लिए पति और पत्नी का दर्जा प्राप्त करते हैं. यह इंडियन सोसायटी की एक बुनियादी इकाई है.

यह भी पढ़ें: गरीबी में गुजरा बचपन, देखने पड़े बुरे से बुरे दिन, गांव के इस लड़के ने नहीं छोड़ी आस, अब 91000 करोड़ का मालिक

नियर न्यूज टिम रोज़ाना अपने विवर के लिए सरकारी योजना और लेटेस्ट गवर्नमेंट जॉब सहित अन्य महत्वपूर्ण खबर पब्लिश करती है, इसकी जानकारी व्हाट्सअप और टेलीग्राम के माध्यम से प्राप्त कर सकतें हैं। हमारा यह आर्टिकल आपको उपयोगी लगा हों तो अपने दोस्तों को शेयर कर हमारा हौसलाफ़जाई ज़रूर करें।

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Tanisha Mishra
Tanisha Mishra
तनिशा मिश्रा Near News में एडिटर हैं और विभिन्न प्रकार के न्यूज जैसे लेटेस्ट खबर, टेलीकॉम, वेब सीरीज, करियर से सम्बंधित खबर लिखते हैं। ये लेटेस्ट खबर से परिचित रहना पसंद करते हैं। इन्हें [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है।

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Supreme Court : शादी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, कहा- ‘सात फेरों के बिना हिंदू शादी वैध नहीं’

आजकल लोग हिंदू विवाह (Hindu Marriage) को ‘गाने, नृत्य’ और ‘शराब पीने, खाने’ का आयोजन या अनुचित दबाव द्वारा दहेज और उपहारों का आदान-प्रदान करने का अवसर बना दिया है. जो ग़लत है

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू शादी को लेकर एक बड़ा फैसला (Supreme Court Big Decision ) सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि, हिंदू विवाह एक संस्कार है, यह ‘गाना और डांस’, ‘शराब पीना और खाना’ या एक कमर्शियल ट्रांजैक्शन का आयोजन नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अगर जरूरी समारोह नहीं होते हैं तो हिंदू विवाह (Hindu Marriage) शून्य है और ऐसी शादी को वैध नहीं बना जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के तहत हिंदू विवाह की कानूनी आवश्यकताओं और उसकी पवित्रता को स्पष्ट किया है.

आपको बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस बात पर जोर देते हुए कहा है कि, हिंदू विवाह (Hindu Marriage) को वैध बनाने के लिए, इसे उचित संस्कारों और समारोहों जैसे सप्तपदी (पवित्र अग्नि के चारों ओर परिक्रमा के सात चरण) और विवादों के मामले में इन समारोहों के प्रमाण के साथ किया जाना जरूरी है.

जस्टिस बी नागरत्ना ने अपने फैसले में कहा, हिंदू विवाह (Hindu Marriage) को भारतीय समाज में महान मूल्य की संस्था का दर्जा दिया जाना चाहिए. यही कारण है कि हम हिन्दू युवक-युवतियों से आग्रह करते हैं कि, वे विवाह संस्था में प्रवेश करने से गहराई से सोचें और विचार करें कि उक्त संस्था भारतीय समाज में कितनी पवित्र है.

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उन्होंने कहा, आजकल लोग हिंदू विवाह (Hindu Marriage) को ‘गाने, नृत्य’ और ‘शराब पीने, खाने’ का आयोजन या अनुचित दबाव द्वारा दहेज और उपहारों का आदान-प्रदान करने का अवसर बना दिया है. जो ग़लत है एसा करने से किसी भी मामले में आपराधिक कार्यवाही की जा सकेगी।

विवाह कोई व्यावसायिक लेन-देन नहीं है, यह एक गंभीर बुनियादी प्रोग्राम (serious basic program) है, जिसे एक पुरुष और एक महिला के बीच संबंध बनाने के लिए मनाया जाता है, जो भविष्य में एक अच्छे परिवार के लिए पति और पत्नी का दर्जा प्राप्त करते हैं. यह इंडियन सोसायटी की एक बुनियादी इकाई है.

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