Saturday, July 27, 2024
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Oxford University कैंपस में बीफ बैन, स्टूडेंट यूनियन ने दो तिहाई बहुमत से समर्थन में किया वोट

LONDON : दुनिया के अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों में से एक Oxford University में छात्र कैंपस के अंदर कैंटीन और दूसरे फूड स्टॉल पर बीफ को परोसने का विरोध कर रहे हैं.

कैंपस में बीफ और मेमने के मांस पर रोक लगाने के प्रस्ताव पर Oxford University स्टूडेंट यूनियन ने दो तिहाई के बहुमत से वोट किया है. ये बैन Oxford University द्वारा संचालित होने वाले कैंटीन और इवेंट्स के लिए है. इसमें कॉलेजों के हॉल में दिया जाने वाला भोजन शामिल नहीं है.

डेली मेल की खबर के अनुसार प्रस्ताव पर Student Union में वोटिंग के बाद भी छात्रों को इसके लिए Oxford University प्रशासन से लॉबिंग करना होगा

क्योंकि इस बैन को प्रभावी होने के लिए Oxford University की एग्जीक्यूटिव कमेटी से पास होना आवश्यक हैं. फिलहाल प्रस्ताव को Oxford University के मैनेजमेंट को भेजा गया है जिस पर मैनेजमेंट को निर्णय लेना बाकी हैं.

जलवायु परिवर्तन की मुहिम के लिए कदम

खास बात यह हैं कि प्रस्ताव को छात्रों ने जलवायु परिवर्तन की मुहिम के अंतर्गत लाया है. कैंपस में बीफ और मेमने के मांस पर रोक का मुख्य उद्देश्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन कम करना है.

साथ ही इसके माध्यम से लोगों के बीच जागरूकता फैलाना भी है. Oxford University की अखबार के अनुसार छात्रों ने मुहिम ऐसे समय में शुरू किया है

जब Oxford University ने ये स्वीकार किया कि वह 2021 के लिए तय किए गए कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को पूरी करने में विफल रहा है. इसके बाद से छात्रों ने बीफ और मेमने के मांस पर रोक लगाए जाने के अपने अभियान को तेज किया.

Oxford University कर सकता है नेतृत्व

प्रस्ताव में कहा गया है कि यह एक अग्रणी संस्थान के रूप में पूरा देश बदलाव के लिए Oxford University की तरफ देखता है

परंतु जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को संबोधित करने में Oxford University ने नेतृत्व की कमी दिखाई है.

यूनिवर्सिटी के ही कैटरिंग कार्यक्रम और आउटलेट पर बीफ और मेमने का मांस पर रोक लगाकर 2030 के जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को हासिल करने का सबसे प्रभावी तरीका हो सकता है.

इस प्रस्ताव को लिखने वाली टीम का हिस्सा रही एक छात्रा का कहना हैं कि Oxford University ऐसा करके इसी मुद्दे पर अलग-अलग विचार रखने वाले नेताओं को प्रभावित कर सकता हैं.

साथ ही इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाने में भी मदद मिलेगा कि इसमें हम सभी शामिल हैं.

हालांकि जहां पर प्रस्ताव को व्यापक समर्थन मिला हैं वहीं कुछ लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं. खास तौर पर इसे खाने-पीने का व्यक्तिगत आजादी को नियंत्रित करने के रूप में देखा जा रहा है.

छात्र संघ के एक पदाधिकारी ने कहा कि Student Union को यह नहीं तय करना चाहिए कि कैंपस में कौन क्या खाए और क्या नहीं खाए. सभी लोगों का खान-पान उनके व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर होनी चाहिए. Input : oneindia

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Oxford University कैंपस में बीफ बैन, स्टूडेंट यूनियन ने दो तिहाई बहुमत से समर्थन में किया वोट

LONDON : दुनिया के अग्रणी शैक्षणिक संस्थानों में से एक Oxford University में छात्र कैंपस के अंदर कैंटीन और दूसरे फूड स्टॉल पर बीफ को परोसने का विरोध कर रहे हैं.

कैंपस में बीफ और मेमने के मांस पर रोक लगाने के प्रस्ताव पर Oxford University स्टूडेंट यूनियन ने दो तिहाई के बहुमत से वोट किया है. ये बैन Oxford University द्वारा संचालित होने वाले कैंटीन और इवेंट्स के लिए है. इसमें कॉलेजों के हॉल में दिया जाने वाला भोजन शामिल नहीं है.

डेली मेल की खबर के अनुसार प्रस्ताव पर Student Union में वोटिंग के बाद भी छात्रों को इसके लिए Oxford University प्रशासन से लॉबिंग करना होगा

क्योंकि इस बैन को प्रभावी होने के लिए Oxford University की एग्जीक्यूटिव कमेटी से पास होना आवश्यक हैं. फिलहाल प्रस्ताव को Oxford University के मैनेजमेंट को भेजा गया है जिस पर मैनेजमेंट को निर्णय लेना बाकी हैं.

जलवायु परिवर्तन की मुहिम के लिए कदम

खास बात यह हैं कि प्रस्ताव को छात्रों ने जलवायु परिवर्तन की मुहिम के अंतर्गत लाया है. कैंपस में बीफ और मेमने के मांस पर रोक का मुख्य उद्देश्य ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन कम करना है.

साथ ही इसके माध्यम से लोगों के बीच जागरूकता फैलाना भी है. Oxford University की अखबार के अनुसार छात्रों ने मुहिम ऐसे समय में शुरू किया है

जब Oxford University ने ये स्वीकार किया कि वह 2021 के लिए तय किए गए कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को पूरी करने में विफल रहा है. इसके बाद से छात्रों ने बीफ और मेमने के मांस पर रोक लगाए जाने के अपने अभियान को तेज किया.

Oxford University कर सकता है नेतृत्व

प्रस्ताव में कहा गया है कि यह एक अग्रणी संस्थान के रूप में पूरा देश बदलाव के लिए Oxford University की तरफ देखता है

परंतु जलवायु परिवर्तन के मुद्दे को संबोधित करने में Oxford University ने नेतृत्व की कमी दिखाई है.

यूनिवर्सिटी के ही कैटरिंग कार्यक्रम और आउटलेट पर बीफ और मेमने का मांस पर रोक लगाकर 2030 के जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को हासिल करने का सबसे प्रभावी तरीका हो सकता है.

इस प्रस्ताव को लिखने वाली टीम का हिस्सा रही एक छात्रा का कहना हैं कि Oxford University ऐसा करके इसी मुद्दे पर अलग-अलग विचार रखने वाले नेताओं को प्रभावित कर सकता हैं.

साथ ही इस मुद्दे पर एकजुटता दिखाने में भी मदद मिलेगा कि इसमें हम सभी शामिल हैं.

हालांकि जहां पर प्रस्ताव को व्यापक समर्थन मिला हैं वहीं कुछ लोग इसका विरोध भी कर रहे हैं. खास तौर पर इसे खाने-पीने का व्यक्तिगत आजादी को नियंत्रित करने के रूप में देखा जा रहा है.

छात्र संघ के एक पदाधिकारी ने कहा कि Student Union को यह नहीं तय करना चाहिए कि कैंपस में कौन क्या खाए और क्या नहीं खाए. सभी लोगों का खान-पान उनके व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर होनी चाहिए. Input : oneindia

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