Saturday, July 27, 2024
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Bihar Water Level : बिहार में दिन-प्रतिदिन घट रहा हैं वाटर लेवल, 2030 तक गंभीर जल संकट

डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि, पीने का पानी की कमी के कारण संक्रामक रोग (Infectious Disease) फैल रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की रिपोर्ट के मुताबिक, विकासशील देशों में 70 प्रतिशत संक्रामक रोग का जिम्मेदार जल प्रदूषण है.

Bihar Water Level : जल संकट पूरे विश्व को प्रभावित कर रहा है. लेकिन आज हम बात करेंगे बिहार की हम आपको बता दें कि, बिहार में दिन प्रतिदिन जल संकट का खतरा बढ़ता जा रहा है. 2030 तक, बिहार के अधिकांश हिस्सों, विशेष रूप से दक्षिणी जिलों को गंभीर जलसंकट (Bihar Water Level) का सामना करना पड़ सकता है. बिहार की राजधानी पटना समेत कई क्षेत्रों में भूजल स्तर में लगातार गिरावट (Bihar Water Level) देखी जा रही है, जिस कारण बिहार में पीने योग्य पानी की कमी हो रही है.

भूजल संकट: स्थिति गंभीर

आपको बता दें, बिहार को कभी जल संसाधनों (Water Resources) से भरपूर राज्य माना जाता था, लेकिन बिहार में अब यह स्थिति बदल रही है. उत्तर बिहार के दरभंगा जैसे जिलों में भी भूजल स्तर (Groundwater level) में कमी हो रही है. यह चिंताजनक जानकारी विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के अवसर पर सस्टेनेबल पाथवेज सेंटर द्वारा आयोजित ऑनलाइन सेमिनार में सामने आई.

बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Bihar Pollution Control Board) के पूर्व अध्यक्ष और महावीर कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र के शोध प्रमुख, डॉ. अशोक घोष ने बताया कि, अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि बिहार में 2030 तक जल संकट (Bihar Water Level) की संभावना है, खासकर दक्षिण बिहार के जिलों में. उन्होंने जल संकट को रोकने के लिए सरकारी नीतियों, सार्वजनिक भागीदारी और वैज्ञानिक अनुसंधान (Scientific Research) की जरूरतों पर जोर दिया.

जलवायु परिवर्तन और उसकी मानवीय लागत

हम आपको बता दें, पटना मौसम विज्ञान केंद्र (Patna Meteorological Centre) के वैज्ञानिक आशीष कुमार ने जलवायु परिवर्तन (Climate change) की मानवीय लागत पर जानकारी देते हुए बताया कि, हीटवेव और बिजली गिरने से होने वाली मौतों में इजाफा हो रहा है. पिछले तीन वर्षों में बिजली गिरने से 1500 लोगों की मौत हुई है. मधुबनी, पूर्णिया और किशनगंज सहित उत्तर बिहार के जिलों में भी हीटवेव का प्रभाव पड़ा है.

यह भी पढ़ें: स्टेट बैंक में फाइनेंस ऑफिसर बनने का मौका, ऑनलाइन आवेदन शुरू, जाने पूरी डिटेल्स

मानसून में देरी और उसका प्रभाव

पिछले पांच वर्षों से बिहार में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत और विदाई में देरी हो रही है, जिससे बारिश के मौसम की संख्या कम हो रही है. इसका असर कृषि और जल संसाधनों पर पड़ रहा है.

संक्रामक रोग और जल प्रदूषण

हम आपको बता दें कि, डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि, पीने का पानी की कमी के कारण संक्रामक रोग (Infectious Disease) फैल रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की रिपोर्ट के मुताबिक, विकासशील देशों में 70 प्रतिशत संक्रामक रोग का जिम्मेदार जल प्रदूषण है.

आर्थिक विकास और जलवायु भेद्यता

बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (Bihar Institute of Public Finance and Policy) के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. सुधांशु कुमार ने बताया कि, आर्थिक विकास और जलवायु भेद्यता के बीच पारस्परिक संबंध है. उन्होंने कहा कि इस पर ध्यान देने की जरूरत है.

जीविका का योगदान

जीविका के प्रोग्राम मैनेजर, अमित कुमार ने बताया कि, जीविका बिहार के ग्रामीण महिलाओं को बिजली से खाना पकाने का प्रशिक्षण और आजीविका सृजन के लिए अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है. इस पहल से महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.

यह भी पढ़ें: सेंट्रल बैंक ने जारी किया 3000 पदों पर भर्ती का विज्ञापन, आवेदन शुरू

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Tanisha Mishra
Tanisha Mishra
तनीषा मिश्रा ने अपने करियर की शुरुआत साल 2021 में नियर न्यूज़ वेब पोर्टल समूह के नियरन्यूज.कॉम से की। यहां उन्होंने एंटरटेनमेंट, हेल्थ, बिजनेस पर काम किया। साथ ही पत्रकारिता के मूलभूत और जरूरी विषयों पर अपनी पकड़ बनाई। इसके बाद वह 2024 में नियर न्यूज से जुड़ीं। वर्तमान में वह शिक्षा, रोजगार, लाइफ स्टाइल और करियर से संबंधित खबरें nearnews.in पर लिखती हैं। उन्हें घूमने का शौक है। इन्हें [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है।

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Bihar Water Level : बिहार में दिन-प्रतिदिन घट रहा हैं वाटर लेवल, 2030 तक गंभीर जल संकट

डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि, पीने का पानी की कमी के कारण संक्रामक रोग (Infectious Disease) फैल रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की रिपोर्ट के मुताबिक, विकासशील देशों में 70 प्रतिशत संक्रामक रोग का जिम्मेदार जल प्रदूषण है.

Bihar Water Level : जल संकट पूरे विश्व को प्रभावित कर रहा है. लेकिन आज हम बात करेंगे बिहार की हम आपको बता दें कि, बिहार में दिन प्रतिदिन जल संकट का खतरा बढ़ता जा रहा है. 2030 तक, बिहार के अधिकांश हिस्सों, विशेष रूप से दक्षिणी जिलों को गंभीर जलसंकट (Bihar Water Level) का सामना करना पड़ सकता है. बिहार की राजधानी पटना समेत कई क्षेत्रों में भूजल स्तर में लगातार गिरावट (Bihar Water Level) देखी जा रही है, जिस कारण बिहार में पीने योग्य पानी की कमी हो रही है.

भूजल संकट: स्थिति गंभीर

आपको बता दें, बिहार को कभी जल संसाधनों (Water Resources) से भरपूर राज्य माना जाता था, लेकिन बिहार में अब यह स्थिति बदल रही है. उत्तर बिहार के दरभंगा जैसे जिलों में भी भूजल स्तर (Groundwater level) में कमी हो रही है. यह चिंताजनक जानकारी विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के अवसर पर सस्टेनेबल पाथवेज सेंटर द्वारा आयोजित ऑनलाइन सेमिनार में सामने आई.

बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Bihar Pollution Control Board) के पूर्व अध्यक्ष और महावीर कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र के शोध प्रमुख, डॉ. अशोक घोष ने बताया कि, अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि बिहार में 2030 तक जल संकट (Bihar Water Level) की संभावना है, खासकर दक्षिण बिहार के जिलों में. उन्होंने जल संकट को रोकने के लिए सरकारी नीतियों, सार्वजनिक भागीदारी और वैज्ञानिक अनुसंधान (Scientific Research) की जरूरतों पर जोर दिया.

जलवायु परिवर्तन और उसकी मानवीय लागत

हम आपको बता दें, पटना मौसम विज्ञान केंद्र (Patna Meteorological Centre) के वैज्ञानिक आशीष कुमार ने जलवायु परिवर्तन (Climate change) की मानवीय लागत पर जानकारी देते हुए बताया कि, हीटवेव और बिजली गिरने से होने वाली मौतों में इजाफा हो रहा है. पिछले तीन वर्षों में बिजली गिरने से 1500 लोगों की मौत हुई है. मधुबनी, पूर्णिया और किशनगंज सहित उत्तर बिहार के जिलों में भी हीटवेव का प्रभाव पड़ा है.

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मानसून में देरी और उसका प्रभाव

पिछले पांच वर्षों से बिहार में दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत और विदाई में देरी हो रही है, जिससे बारिश के मौसम की संख्या कम हो रही है. इसका असर कृषि और जल संसाधनों पर पड़ रहा है.

संक्रामक रोग और जल प्रदूषण

हम आपको बता दें कि, डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि, पीने का पानी की कमी के कारण संक्रामक रोग (Infectious Disease) फैल रहे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की रिपोर्ट के मुताबिक, विकासशील देशों में 70 प्रतिशत संक्रामक रोग का जिम्मेदार जल प्रदूषण है.

आर्थिक विकास और जलवायु भेद्यता

बिहार इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (Bihar Institute of Public Finance and Policy) के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ. सुधांशु कुमार ने बताया कि, आर्थिक विकास और जलवायु भेद्यता के बीच पारस्परिक संबंध है. उन्होंने कहा कि इस पर ध्यान देने की जरूरत है.

जीविका का योगदान

जीविका के प्रोग्राम मैनेजर, अमित कुमार ने बताया कि, जीविका बिहार के ग्रामीण महिलाओं को बिजली से खाना पकाने का प्रशिक्षण और आजीविका सृजन के लिए अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है. इस पहल से महिलाओं के सशक्तिकरण के साथ पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.

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