New LPG Gas Agency : गैस एजेंसी खोलने का मौका हर कोई ढूंढता हैं. मुनाफे वाला यह Business न सिर्फ आसानी से शुरू किया जा सकता है, बल्कि पहले दिन से ही इसमें कमाई के रास्ते खुलते हैं.
अगर आप भी Gas Agency खोलना चाहते हैं तो आपको सभी नियमों की जानकारी होना चाहिए. GAS कंपनियां समय-समय पर LPG Dealership प्रोग्राम चलाता हैं.
Distribution नेटवर्क बढ़ाने के लिए शहर में उन्हें डीलर्स की जरूरत पड़ती है. मार्च 2021 तक GAS Company को नए Distributor बनाना हैं.
आप Gas Agency लेकर एक नियमित आय वाला बिजनेस शुरू कर सकते हैं. लाइसेंस मिलने के बाद Gas Agency सेटअप करने में तकरीबन 1 साल का वक्त लग जाता है,
क्योंकि इसके लिए कई जगहों से मंजूरी लेना पड़ता है. यूपी, बिहार, बंगाल, उड़ीसा और महाराष्ट्र में इस वक्त सबसे ज्यादा मौका हैं. Gas Company इन्हीं राज्यों में अपनी संभावनाएं तलाश रहा हैं.
कैसे मिलेगी Gas Agency (How to get New LPG Gas agency ?)
देश में तीन सरकारी गैस कंपनियां Indane, Bharat Gas और HP Gas हैं. ये तीनों अपने लिए डीलर्स की तलाश करती हैं. इसके लिए कंपनियां समय-समय पर विज्ञापन और नोटिफिकेशन भी जारी करती रहती हैं.
विज्ञापन के जरिए ये कंपनियां आवेदन मंगाती हैं. बता दें कि यह विज्ञापन अखबार और कंपनियों की वेबसाइट पर जारी किया जाता हैं. जहां पर जाकर आप आवेदन कर सकते हैं.
आवेदन करने के बाद Gas Agency के लिए डिस्ट्रीब्यूटर का सिलेक्शन लॉटरी सिस्टम से किया जाता है. लॉटरी में जिन लोगों का भी नाम लिस्ट में आता हैं, उन्हें आगे की प्रोसेस के लिए बुलाया जाता हैं.
कौन शुरू कर सकता है गैस एजेंसी? (Kaun Shuru kar sakta hai Gas Agecy)
Gas Agecy खोलने के लिए Education Qualification पहले ग्रेजुएशन थी. लेकिन, अब इसे घटाकर 10th पास कर दिया गया है. जनरल या रेगुलेटर कैटेगरी में अब कम से कम 10वीं पास भी LPG Dealership ले सकेंगे.
Oil Marketing Companies के तरफ से जारी नई Guidelines में अब 60 साल की उम्र तक कोई भी व्यक्ति Gas Agecy के लिए आवेदन कर सकता है. हालांकि, पहले LPG Distributor 21 से 45 साल तक की उम्र वाले लोगों को दिया जाता था.
‘फैमिली यूनिट’ में भी किया बदलाव (Family unit defination)
कंपनियों ने ‘फैमिली यूनिट’ की Definition में भी बदलाव किया है. आवेदक के अलावा अब पति या पत्नी, पैरेंट्स, भाई, बहिन सहित सौतेले भाई और बहिन, बच्चे सहित गोद लिया गया बच्चा, दामाद और भाभी, सास-ससुर और दादा-दादी को भी लिस्ट में शामिल किया गया है.
हालांकि, पहले ‘फैमिली यूनिट’ में सिर्फ आवेदक, पति पत्नी, अविवाहित बच्चे ही आते थें.
अविवाहित आवेदक के मामले में पैरेंट्स, अविवाहित भाई या फिर बहन आती हैं, जबकि तलाकशुदा अथवा विधवा के मामले में सिर्फ इंडिविजुअल और अविवाहित बच्चे ही आते हैं.