केंद्र सरकार प्रयासरत हैं कि मेधावी नौजवानों को डॉक्टर-इंजीनियरों के तरह शिक्षक बनने के लिए आकर्षित किये जाए। इसके लिए छात्रों को कोर्स के दौरान छात्रवृत्ति और बाद में नौकरी की भी गारंटी दी जाएगी। इसके तहत ग्रामीण इलाकों के छात्रों पर खास फोकस रहेगा।
हाल ही में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मंजूरी के बाद इसके प्रावधानों को अमल में लाने के लिए शिक्षा मंत्रालय के तरफ से आने वाले दिनों में इस योजना का विस्तृत खाका तैयार करेगा, लेकिन केंद्र सरकार की मूल योजना यह है कि काबिल छात्रों को आकर्षित करने के लिए एक चार वर्षीय उत्कृष्ट बीएड कोर्स शुरुआत किया जाए।
इस कोर्स में एडमिशन लेने वाले छात्र-छात्राओं को उनके मेरिट के आधार पर छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाएगी। और कोर्स पूरा होने के तत्काल बाद ही उन्हें स्थानीय स्तर पर नौकरी भी उपलब्ध करा दी जाएगी। हालांकि योजना तो पूरे देश भर में लागू होगी, लेकिन मुख्य फोकस ग्रामीण क्षेत्रों पर ही होगा, जहां पर योग्य शिक्षकों की भारी कमी है।
शिक्षा नीति के इस योजना अनुसार इससे योग्य उम्मीदवारों को स्थानीय स्तर पर ही शिक्षक बनने का मौका मिलेगा और उनको बच्चों के बीच रोल मॉडल के रूप में पेश किये जाएंगे। सरकार का मकसद यह है कि सरकारी स्कूलों में अच्छे शिक्षकों की संख्याएं बढ़े और उनकी गुणवत्ता में सुधार हो सकें।
इस योजना को ग्रामीण क्षेत्रों पर केंद्रित करने के साथ-साथ प्रतिभाशाली छात्र-छत्राओं को खासतौर पर उन्हें इसमें शामिल होने के लिए प्रेरित किए जाएंगे।
अन्य प्रावधान
– अच्छे शिक्षकों की उपलब्धता ग्रामीण क्षेत्रों में सुनिश्चित कराने के लिए शिक्षकों को स्कूल के आसपास आवास उपलब्ध कराया जाएगा अन्यथा उनके आवास के भत्ते में वृद्धि की जाएगी।
– शिक्षक और समुदायों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित कराने के लिए शिक्षकों के अंधाधुध तबादलों पर रोक रहेगा और तबादले प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन प्लेटफार्म का इस्तेमाल किया जाएगा।
– कक्षा में पढ़ाने का प्रदर्शन देखकर ही शिक्षकों की भर्ती किया जाएगा। स्थानीय भाषा में शिक्षण की सहजता एवं दक्षता का भी आकलन किये जायेंगे।