Tuesday, June 6, 2023

चीन ने भारतीय सीमा के पास दागीं मिसाइलें, रॉकेट की बारिश से थर्राए पहाड़

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पूर्वी लद्दाख में वास्‍तविक नियंत्रण रेखा के पास जारी सीमा व‍िवाद सुलझाने के लिए चीन के साथ कई दौर की बातचीत के बाद भी विवाद खत्‍म होने का नाम नहीं ले रहा.

इस बीच PLA चीनी सेना ने मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के उद्देश्य से भारतीय सीमा से सटकर जोरदार युद्धाभ्‍यास किया. चीन के सरकारी ग्‍लोबल टाइम्‍स का दावा हैँ कि Live Fire Exercises में 90 फीसदी नए हथियारों का इस्‍तेमाल किया गया हैं.

ग्‍लोबल टाइम्‍स के अनुसार, यह अभ्‍यास 4700 मीटर की ऊंचाई पर PLA के तिब्‍बत थिएटर कमांड की ओर से किया गया हैं. ग्‍लोबल टाइम्‍स ने इस युद्ध अभ्‍यास का एक वीडियो भी जारी किया हैं.

इस विडियो में नजर आ रहा है कि चीनी सेना अंधेरे में हमला बोलती हैं और ड्रोन विमानों की मदद से भी हमला बोलती हैं. विडियो में नजर आ रहा हैं कि चीनी सेना की रॉकेट फोर्स एक साथ जोरदार हमला करके एक पूरे पहाड़ी इलाके को तबाह कर देता हैं.

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कंधे पर रखकर दागे जाने वाली मिसाइलों का भी प्रदर्शन

यही नहीं गाइडे‍ड मिसाइल के हमले का भी अभ्‍यास चीनी सेना ने किया. अभ्‍यास के दौरान चीनी सेना की तोप ने जमकर बम बरसाए. PLA के सैनिकों ने कंधे पर रखकर दागे जाने वाली मिसाइलों का प्रदर्शन किया.

ग्‍लोबल टाइम्‍स ने दावा किया हैं कि इस अभ्‍यास में शामिल 90 फीसदी हथियार और उपकरण बिल्कुल नए हैं. माना जा रहा है चीनी अखबार ने भारत-चीन वार्ता के दौरान दबाव बनाने के लिए इस वीडियो को जारी किया हैं.

गौरतलब है कि भारत और चीन के बीच कई दौर की वार्ता की जा चुकी हैं जिसके बाद भी अभी तक लद्दाख गतिरोध का कोई हल नहीं निकल सका हैं.

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सीमा पर बड़ी संख्याओं में चीनी सैनिकों की तैनाती पूर्व में हुए करारों का बिल्कुल उलट है. ऐसे में तनाव वाले इलाकों में जब दो देशों के सैनिक मौजूद रहते हैं तो वही होता है जो 15 जून को हुआ था.

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जयशंकर ने यह भी कहा, यह बर्ताव न सिर्फ बातचीत को प्रभावित करता है बल्कि 30 वर्ष के पुराने संबंधों को भी खराब करता हैं.

चीन पर बरसे भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के रिश्तों के मूल में सीमा पर शांति एवं स्थिरता को कायम रखना था, लेकिन फिलहाल सीमा पर जो तनाव हैं उसका असर सीधे रूप में दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ना तय हैं.

इससे पहले शुक्रवार को विदेश मंत्री ने एशिया सोसायटी के एक वर्चुअल कार्यक्रम में कहा था कि, ‘1993 से अब तक दोनों देशों के बीच कई करार हुए जिन्होंने शांति और स्थिरता कायम करने के ढांचे को तैयार किया.

इन करारों में सीमा प्रबंधन से लेकर सैनिकों के बर्ताव तक सभी बातों को शामिल किया गया था, लेकिन जो इस साल हुआ वह सभी करारों को खोखला साबित कर दिया हैं. इनपुट : नवभारत टाइम्स

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