झारखंड में क्वारंटाइन सेंटर में मौज-मस्ती को लेकर बवाल बढ़ गया है। सरकार के नाक के नीचे राजधानी रांची के खेलगांव क्वारंटाइन सेंटर पर 3 तब्लीगी महिलाओं के गर्भवती होने का मामला सामने आ रहा जिसको लेकर मामला गरमा गया है।
इस पर सियासत भी तेज हो गया है। इस मामले की जांच के आदेश के बाद से सभी संबंधित संस्थान यथा बिरसा मुंडा जेल, जिला प्रशासन, रांची पुलिस और स्वास्थ्य विभाग इस मामले से अपनी अपनी गर्दन बचाने में लगे हुए हैं।
तब्लीगी जमात की तीन महिलाओं के गर्भवती पाए जाने के उपरांत पूरे मामले से हुक्मरान अपनी भूमिका से पल्ला झाड़ने की कोशिश में जुट हुए हैं।
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से इससे जूझ रहे राज्य के इस बेहद गंभीर मामले में गुरुवार को तब नया माेड़ आया, जब पूरे मामलों की जांच शुरू होने के पहले ही रांची जिला प्रशासन के तरफ से जिम्मेवार बनाए गए एडिशनल कलक्टर का तबादला अचानक से दिया गया।
सब पता लगा रहे कब हुईं गर्भवती
मामले की जांच शुरू भी नहीं हुई है, लेकिन सभी लोग संबंधित पक्ष से अपनी भूमिका को लेकर सतर्क हो गए हैं। रांची स्थित खेल गांव का क्वारंटाइन सेंटर रांची जिला प्रशासन, रांची पुलिस व स्वास्थ्य विभाग के नजर में संचालित हो रहा था।
लेकिन अब तीनों महिलाओं के गर्भवती होने की सही तिथि का पता लगाने में जुटे हैं डॉक्टर ताकि अपनी भूमिका से वें पल्ला झाड़ सकें। तब्लीगी जमात की महिलाएं बीते 30 मार्च को हिंदपीढ़ी से उठाकर खेलगांव स्थित क्वारंटाइन सेंटर पर भेजी गई थीं।
उन सभी पर वीजा नियम व लॉकडाउन उल्लंघन के मामले में हिंदपीढ़ी थाने में 10 अप्रैल को प्राथमिकी दर्ज किया गया था। सभी महिलाएं 30 मार्च से 10 अप्रैल तक खेलगांव के क्वारंटाइन सेंटर में रहीं थी।
दस अप्रैल को प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से महिलाएं व तब्लीगी जमात के अन्य सदस्य न्यायिक हिरासत में ले ली गईं थी, तब उनलोगों को क्वारंटाइन सेंटर से उठाकर खेलगांव स्थित कैंप जेल में रख दिया गया था। यहां से बीते 20 मई को खेलगांव के क्वारंटाइन सेंटर से बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार में सभी को भेज दिया गया था।
जेल प्रशासन पर भी उठ रहे सवाल
नियमत: 10 अप्रैल के बाद सभी जेल प्रशासन के अधीन चली गईं थी, भले ही 20 मई को उनको बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार में भेजा गया था। अब यहां फेंका-फेंकी यह हो रहा है कि 30 मार्च से 10 अप्रैल तक ही जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग व जिला पुलिस के अधीन क्वारंटाइन सेंटर में तब्लीगी जमात की महिलाएं रहीं थी।
अगर इस अवधि में महिलाएं गर्भवती हुईं हैं तो दोष इनके माथे आएगा। वहिं अगर इस डेट के बाद हुईं हैं तो जेल प्रशासन इसका दोषी माना जाएगा।
जबकि, जेल प्रशासन ने यह तर्क दिया है कि 20 मई को सभी बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार गईं थी और उनकी जवाबदेही 20 मई से बनती है।
आपको बता दें कि खेलगांव का कैंप जेल भी जेल प्रशासन के अधीनस्थ ही संचालित हो रहा था। अब उन महिलाओं के गर्भधारण की तिथि यह जवाबदेही तय करेगा कि किसके ज्यूरिसडिक्शन काल में तीनों महिलाएं ने प्रेग्नेंट हुई, उसके बाद चूक के लिए दोषी को चिह्नित किया जाएगा।
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