जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल सर्विस (एक्सआईएसएम) रांची में वार्षिक केन्द्रीय बजट 2021 पर एक पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया।
एक्साईएसएस के फा. माईकल बेन डेन बोगार्ट एम.जे. मेमोरियल ऑडिटोरियम में आयोजित इस कार्यक्रम में वित्त मंत्री, श्रीमती निर्मला सीतारमन द्वारा 1 फ़रवरी को प्रस्तुत केन्द्रीय बजट 2021 पर विस्तार से चर्चा की गयी।
एफ्सआईएसएस ने इस कार्यक्रम का आयोजन केंद्रीय बजट से जुड़ी स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्त, कृषि आदि जैसे क्षेत्रों की नीतियों पर चर्चा करने के लिए की गयी थी।
पैनल डिस्कशन की शुरुआत डॉ. रमाकांत अग्रवाल ने की और अपने विचारों को व्यक्त करते हुए बताया कि कैसे “इस साल का बजट फिस्कल कन्मालिडेशन और अर्थव्यवस्था की स्थिरता के उद्देश्य की तरफ एक कदम बताया गया है।
यह बजट एक ओर जहां निजीकरण, पूंजीगत व्यय और स्वास्थ्य के ऊपर विशेष ध्यान आकृष्ट करता है वहीं, सामाजिक क्षेत्र के रखर्च, जैसे स्कूल और उच्च शिक्षा और ग्रामीण विकास के लिए थोड़ी निराशा लाया है
पैनल का नेतृत्व कर रहे डॉ. जोनेफ मारियानुस कुजूर, एम.जे. निदेशक, एक्सआईएसएस ने बजट 2021 में ST/SC की उपेक्षा के प्रश्न को प्रमुखता से इस कार्यक्रम में उठाते हुए कहा कि, केंद्र के एक समावेशी बजट के बाद के बावजूद, बजटीय आवंटन में ST/SC समुदाय हाशिए पर है।
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केंद्र सरकार की आत्मानिर्भर भारत की अवधारणा सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश के खबरों बीच स्व-विरोधाभासी मी दिख रही है। वहीं बड़े पैमाने पर निजीकरण की जो प्रक्रिया चल रही है वह एससी/एसटी समुदाय के लिए एक खतरे का संकेत है क्योंकि यह उनके लिए नौकरी के अवसरों को और कम कर देगा और आरक्षण नीति को निर्जीव बना देगा।
डॉ. पूजा, सहायक प्रोफेसर, पीजीडीएम (मार्केटिंग प्रबंधन) ने शिक्षा के क्षेत्र में बजट के प्रमुख बिन्दुओं को उजागर किया कि कैसे, इस साल का बजट नयी शिक्षा नीति 2020 के लागूकरण में स्पष्टता लाया है और शिक्षा के क्षेत्र में इस बजट से कई अपेक्षाएँ है,
जैसे इनोवेशन, रिसर्च एवं डेवेलोपमेंट के लिए 50,000 करोड़ रुपये के माध्यम से नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी जो आज के समय की आवश्यकता है।
डॉ. रत्नेश चतुर्वेदी, प्रोफेसर, पीजीडीएम (वित्त प्रबंधन) ने कार्यक्रम में आगे विस्तृत रूप से बताया कि कैमे, बजट 2021 22 तत्काल जरूरतों के वर्षों और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मध्य और दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राथमिकता दे रहा है।
कार्यक्रम में डॉ, रिक दाम, सहायक प्रोफेसर, पीजीडीएम (आईटी) ने बजट में डिजिटलाइजेशन की महत्ता को देखते हुए बताया कि केंद्रीय बजट 2020-21 का टैकनोलजी इंडस्ट्री ने खुल कर स्वागत किया
और सरकार की डिजिटलाइजेशन की दृष्टि को सराहा है। बजट संरचित नवाचार के लिए अनुसंधान और विकास के लिए आवश्यक प्रोत्साहन सरकार के विकास-समर्थक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
इस सत्र का अंत डॉ. रमाकांत अग्रवाल ने धन्यवाद प्रस्ताव के साथ किया।