PATNA: बिहार में शराबबंदी साल 2016 से ही लागू है. समाज सुधार के उद्देश्य से लागू शराबबंदी को लेकर बिहार में सियासत भी होता रहा है, लेकिन अधिकांश लोगों ने शराबबंदी के समर्थन ही किया हैं.
हालांकि अक्सर इसकी कई खामियां उजागर होता रहता हैं. इनमें सबसे पहला है शराबबंदी के बावजूद धड़ल्ले से शराब की तस्करी. कहा जाता है कि बस एक फोन पर यह आपके दरवजे पर पहुंचवा दिया जाता हैं.
मतलब अवैध रूप से शराब की होम डिलीवरी की जारही है. कई बार तो पुलिसकर्मियों की भी मिलीभगत जाहिर हो चुका है और सरकारी स्तर पर कर्मियों पर एक्शन भी लिया गया है.
अब सरकार ने शराब की तस्करी के मामलों को और गंभीरता से लिया है और इसपर सख्ती का फैसला किया है. अब अगर आपके आसपास का कोई शराबबंदी के कानून को तोड़ता है
तो आप उस पर कार्रवाई करवाने के लिए फोन कर सूचना दे सकते हैं. इस पर एक्शन लिया जाएगा और आपका नाम भी गुमनाम रहेगा इसे किसी के भी सामबे जाहिर नहीं किया जाएगा.
दरअसल मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शराब की तस्करी, खरीद -बिक्री को रोकने के उद्देश्य से बिहार मद्य निषेध विभाग ने एक टॉल फ्री नंबर जारी किया है. आप इस टॉल फ्री नंबर 15545 पर सूचना दे सकते हैं.
बता दें सूचना देने वाले का नाम बिल्कुल गोपनीय रखा जायेगा. वहीं, अगर सूचना देने वाला कोई व्यक्ति अपना मोबाइल नंबर देता हैं और हुए कार्रवाई की जानकारी लेने का इच्छुक हो
तो उसके मोबाइल पर किये गए कार्रवाई संबंधित जानकारी भी भेज दिया जाएगा. पुलिस विभाग के मद्य निषेध प्रभाग ने इस टॉल फ्री नंबर के व्यापक प्रचार- प्रसार और इसके उपयोगिता संबंधित जानकारी को लेकर अपना निर्देश जारी किया हैं.
मद्य निषेध के एसपी संजय कुमार सिंह के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति इस टॉल फ्री नंबर पर सूचना देता है तो संबंधित थानेदार को 24 घंटे के भीतर ही संबंधित डीएसपी को 48 दिनों के भीतर ही साथ में एसपी को तीन से पांच दिनों के भीतर रिस्पांस देना पड़ेगा और कार्रवाई करना ही होगा.
यह ऐसे करता है काम
पुुलिस विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक शिकायत आने पर पटना स्थित पुलिस मुख्यालय से इसकी सूचना संबंधित थानेदार को दी जाती है.
सूचना सही होने पर संबंधित थानेदार को 24 घंटे के भीतर इसपर रिस्पॉन्स देना होता हैं और कार्रवाई करना होता है. अगर संबंधित थानेदार 24 घंटे के भीतर दिए निर्देश पर कोई कार्रवाई नहीं करता हैं,
तो यह मामला एसडीपीओ के पास चला जायेगा. फिर एसडीपीओ के स्तर से अगर कार्रवाई नहीं होती है, तो वह मामला एसपी के पास चला जाता है.
आगे कार्रवाई नहीं करने वाले अफसरों से शो-कॉज अथवा कुछ अन्य बातों की मांग मुख्यालय के निर्देशन पर किया जाएगा.