बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराब बंदी कानून मे चुनाव से पहले बहुत बडा बदलाव कर दिया है जिसमे शराब बनाने वाले माफिया के खिलाफ कारवाई की जा सकती है,
शराब बंदी कानून मे पहले SI यानी पुलिस चौकी का दरोगा या उनसे उपर के अधिकारी ही धरपकड़ करते थे
लेकिन अब उसमे ASI यानी पुलिस जमदार को भी ऑर्डर मिल गया है कि वह भी शराब कारोबारियों के खिलाफ मुहिम छेड़ सकता है यानी छापेमारी, रेड मार सकता है, किसी भी व्यक्ति से पूछताछ कर सकता है.
बिहार सरकार ने लाया नया अध्यादेश
बिहार सरकार ने शराब बंदी कानून के लिए अध्यादेश लाकर अपंने कानून में बदलाव किया है, शराब बंदी कानून 2 अक्टूबर 2016 को लागू किया गया था उसी समय से सारे अधिकार पुलिस अधिकारी को दे दिया गया था,
ये संसोधन 2 अक्टूबर 2016 के प्रभाव से बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के तिथि से लागू किया गया.
सरकार का यह फैसला कितना असरदायक साबित होगा : बिहार सरकार ने शराब बंदी कानून मे बदलाव लाया है यह बहुत ही अच्छी बात है लेकिन अब देखना है कि यह बदलाव कितना कारगर साबित होता है
और यह बदलाव ठीक चुनाव के पहले किया गया है क्युकी अब चुनाव के लिए बहुत कम समय बचा है ऐसे मे सरकार का यह कदम बहुत ही असरदायक होगा.
शराब से जुडी हजारो मामले को जमादार स्तर के अधिकारी को सौप दिया गया है अब देखना है आगे क्या होता है आरोपी बचते है या जेल की हवा खाते है.
मद्य निषेध आईजी अमृत राज ने 16 जून को शराब बंदी के खिलाफ सभी एसपी को पत्र लिखा था की वे सभी अपना प्रतिवेदन दे की शराब मामले की जाँच दरोगा या उनसे बड़े अधिकारी करेंगे,
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शराब बंदी कानून 73(E) की बात करते हुए उन्होंने कहा था कि इस कानून के तहत दरोगा या उनके ऊपर के अधिकारी शराब माफियाओं के खिलाफ कहीं भी छापेमारी कर सकते है, लेकिन बिहार सरकार ने कानून मे बदलाव करके सभी अधिकार पुलिस जमदार को दे दिया है.
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Team || Gopal Kumar